Login
|
Inscrever-se
|
Precisa de ajuda?
Baú de tesourinhos:
0
Faça um Blingee agora!
Amigos:
Slideshow Movie Maker
home
blingees
cartões postais
carimbos
grupos
distintivos
pessoas
MoShow
Stamps
»
ilustrações de radha krsna love
»
❤जय श्री राधे❤
Este carimbo foi usado 4 vezes
॥ दोहा ॥ श्री राधे वृषभानुजा, भक्तिन प्राणाधार। वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रणवौं बारंबार॥ जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिया सुखधाम। चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम॥ ॥ चौपाई ॥ जय वृषभानु कुँवरि श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा॥ (१) नित्य बिहारिनि श्याम अधारा, अमित मोद मंगल दातारा॥ (२) रास विलासिनि रस विस्तारिनि, सहचरि सुभग यूथ मन भावनि॥ (३) नित्य किशोरी राधा गोरी, श्याम प्राण धन अति जिय भोरी॥ (४) करुणा सागर हिय उमंगिनि, ललितादिक सखियन की संगिनी॥ (५) दिनकर कन्या कूल विहारिनि, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनि॥ (६) नित्य श्याम तुमरौ गुण गावैं, राधा राधा कहि हरषावैं॥ (७) मुरली में नित नाम उचारें, तुम कारण लीला वपु धारें॥ (८) प्रेम स्वरूपिणि अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी॥ (९) नवल किशोरी अति छवि धामा, धुति लघु लगै कोटि रति कामा॥ (१०) गोरांगी शशि निंदक बदना, सुभग चपल अनियारे नयना॥ (११) जावक युत युग पंकज चरना, नुपूर धुनि प्रीतम मन हरना॥ (१२) संतत सहचरि सेवा करहीं, महा मोद मंगल मन भरहीं॥ (१३) रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा॥ (१४) अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा॥ (१५) उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा रमा ब्रह्मानी॥ (१६) नित्य धाम गौलोक विहारिनि, जन रक्षक दुख दोष नसावनि॥ (१७) शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पायँ शेष अरु शारद॥ (१८) राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन्न होत बनवारी॥ (१९) ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी॥ (२०) प्रीतम संग देइ गलबाँही, बिहरत नित्य वृन्दावन माँही॥ (२१) राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीत अगाधा॥ (२२) श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफ़ुलित बदनी॥ (२३) कोटिक रूप धरें नंद नंन्दा, दर्श करन हित गोकुल चन्दा॥ (२४) रास केलि करि तुम्हें रिझावें, मान करौ जब अति दुख पावें॥ (२५) प्रफ़ुलित होत दर्श जब पावें, विविध भाँति नित विनय सुनावें॥ (२६) वृन्दारण्य विहारिनि श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा॥ (२७) कोटिन यज्ञ तपस्या करहू, विविध नेम ब्रत हिय में धरहू॥ (२८) तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें, जब लगि राधा नाम न गावें॥ (२९) वृन्दाविपिन स्वामिनि राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा॥ (३०) स्वयं कृष्ण पावैं नहिं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा॥ (३१) श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा॥ (३२) राधा त्यागि कृष्ण को भजि हैं, ते सपनेहुं जग जलधि न तरि हैं॥ (३३) कीरति कुँवरि लाड़िली राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा॥ (३४) नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरि मनभावन॥ (३५) राधा नाम लेय जो कोई, सहजहिं दामोदर बस होई॥ (३६) राधा नाम परम सुखदाई, भजतहिं कृपा करहिं यदुराई॥ (३७) यशुमति नन्दन पीछे फ़िरिहैं, जो कोउ राधा नाम सुमिरिहैं॥ (३८) रास विहारिनि श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी॥ (३९) वृन्दावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी॥ (४०) ॥ दोहा ॥ श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम। करहुँ निरन्तर वास मैं, श्री वृन्दावन धाम॥
Palavras-chave:
Rani
radha
carregado por:
shwetashweta
Avaliar esta fotografia:
Atualmente 5.0/5 estrelas.
1
2
3
4
5
5 Votos.
Adicionar ao baú de tesourinhos
Denunciar conteúdo inapropriado
Mais carimbos
Blingees feitos com este carimbo
Diretório de ilustrações