❤️श्री श्यामा कुंजबिहारी❤️

 
❤️श्री श्यामा कुंजबिहारी❤️
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झूलो घल्यो कदम की डारी, झूले राधा प्यारे रे।। टेर ।। मलियागर को बन्यो हिंडोलो, रेशम तारी रे। हिल मिल गावे सुन्दर गीत, झुलावे सखियाँ सारी रे।। 1 ।। दादुर मौर पपैया बोले, कोयल कारी रे। ऐसी बन्शी श्याम बजावे, मन को हरने वारी रे।। 2 ।। चम्पा चमेली खिली केतकी, केशर क्यारे रे। नभ में घट चढ़ी चहुँ ओर, जोर से बरसन हारी रे।। 3 ।। दमक दमक घन में दमके, दामिन मतवारी रे। जल की टप-टप बूँदें टपकत, भीजत रेशम सारी रे।। 4 ।। छटा अनोखी निरख बाग की, तन मन वारी रे। झुकि झुकि कह नारायण दास, राधिका शरण तुम्हारी रे।। 5 ।।
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