सोवत ही पलका में मैं तोपलक लगी में पिव आये ।मैं जो उठी प्रभु आदर देन कूं जाग पड़ी पिय ढूंढ न पाये ।। वस्तु एक जब प्रेम की पकरी आज भये सखियन से भाये ।और सखी पिव सोइ गमायेमैं जो सखी पिव जागि गमाये ।। आज की बात कहूँ सजनीसुपना में हरि लेत बुलाये । मीरा के प्रभु गिरिधर नागर सब सुख होत स्याम घर आये ।।